1 अवसर के क्षण
 best motivational story in Hindi


सिकंदर महान का समकालीन एक चित्रकार था उसका नाम लिसिपमा था। वह अपने समय का महान वह प्रसिद्ध चित्रकार था तथा वह कुशल मूर्तिकार भी था। उसने यूनान के एक कवि की कविता की प्रथम पंक्तियों पर एक अत्यंत भव्य, प्रेरणा, उत्पन्न आकृष्ट मूर्ति बनाई और उसमें उस कलाकार ने एक संदेश प्रेरणा, एक आदर्श, भर दिया। उस मूर्ति में इंसान की नई जिंदगी की जवानी की झांकी जगमगाने लगी। उस मूर्ति ने यूनान के लाखों लोगों को प्रभावित किया तथा प्रेरणा दी।
 यह उस काल की बहुचर्चित मूर्ति भी थी और उस मूर्ति की चर्चा दूर-दूर विदेशों में भी होने लगी थी। अब वह मूर्ति तो उपलब्ध नहीं है। समय के थपेड़ों के साथ खत्म हो गई है। पर उसका वर्णन पुस्तकों में आज भी मिलता है।
 इस पत्थर की मूर्ति का यूनानी लेखक कैलिस्ट्राटन ने इस प्रकार वर्णन किया है।
अवसर (अर्थात् समय) एक लड़का है जिसकी जीवनी के बाग में नाना प्रकार के रंग बिरंगे फूल खिले हैं। यह भी जवानी का बसंत है। मुख मंडल बड़ा ही मन मादक है। उसके केश हवा में लहरा रहे है।  उसका ललाट गरिमा में दिप्त है। उसके कपोलों पर जवानी की लाली छलकी पड़ी हो। उसके पैरों में लगे पंख उसके अत्यंत मंद गति का परिचय दे रहे हैं। यह पैरों की अंगुलियों बल एक पीठिका पर इस प्रकार खड़ा है मानो उड़ने के लिए एकदम तैयार खड़ा हो। घने घुंघराले बाल उसकी भौंहों का स्पर्श कर रहे हो 
 इन बालों को पकड़ना आसान है इसके सिर के पीछे की भाग में अभी भी छोटे-छोटे बाल ही उग रहे हैं। जब वह एक दफा गुजर जाता है तो उसे पकड़ा नहीं जा सकता।

 इसकी निर्मित कविता की इस पंक्ति पर की गई थी।

 समय को अगले बालों से, मस्तक पर बलखाती लटों में पकड़ो।
 इसमें एक उस्तरा भी बन गया था।
 "तू क्या है ?"
 "समय । सब को अपने वश में करने वाला समय हूं मैं।"  
" तू पैरों की अंगुलियों के बल क्यों खड़ा है ?"
" मैं अपने को हमेशा गति में रखता हूं ‌।" 
" तुम्हारे पैरों में दो पंख क्यों है ? "
 " इसलिए कि मैं हवा के साथ उठता हूं ।"
 " यह उस्तरा कैसा है ?"
 " इसके द्वारा लोगों को इस बात का एहसास दिलाता हूं कि मैं किसी भी धार से ज्यादा तेज हूं।"
 " बाल आगे क्यों आए हैं ? "
"  इसलिए कि समझदार मुझे सामने से पकड़ लें ।"
" पिछला भाग गंजा क्यों है? "
" ताकि पीछे से कोई मुझे पकड़ने सके।"
" तेरा रूप कलात्मक क्यों बन गया है? "
" ताकि लोग देखें और समझे ।"
वास्तव में यह कोई यूनानी मूर्ति अपने आप में बड़ी महत्वपूर्ण है‌। अवसर के घंटों का जितना सुंदर, कलात्मक और आवगमन चित्रण इसमें किया गया है। वह आश्चर्यजनक होने के साथ-साथ अत्यंत शिक्षाप्रद भी है। जिसने समय को समझ लिया वह अपनी मंजिल पा गया। जो चूक गया या समय हाथ से निकल गया वह केवल पश्चाताप ही करता रह जाता है।
 एक कहावत है----
 अब पछतावा क्या होत है, जब चिड़िया चुग गई खेत।
समय, अवसर के क्षण, हमेशा पकड़ लेना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं किया जा सकता‌ है।
 तब तक आप किसी भी कार्य में सफल नहीं हो सकते। इसके लिए ठीक विश्वास आवश्यक है। संशय, दुविधा में पड़ा व्यक्ति कभी भी समय को नहीं पकड़ सकता। समय को स्वर्णकार कहा गया है। सुनहरा मौका हर व्यक्ति के जीवन में आता है जो व्यक्ति इस अवसर को समझ लेता है वह अपने जीवन में महान व्यक्ति के रूप में उभर कर सामने आता है जो व्यक्ति इस अवसर को नहीं समझ पाता वह वह बात में केवल पश्चाताप ही करता है और अपने आप को कोसता रहता है‌।
प्रसिद्ध विचारक मैथ्यू का कहना है। कि बहुत हद तक मनुष्य नादान बालक है‌। आदमी के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात है परिस्थितियों की शक्ति !  जो व्यक्ति परिस्थितियों से सीखता है उतना और किसी से भी नहीं सीखता। कहते हैं ना की व्यक्ति को चाहे कितने भी बादाम खिला दो। पर बुद्धि ठोकर खाने से ही आती है वास्तव में यह एक सच्चाई है और इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती है।
आदमी के जीवन में परिस्थितियों की शक्ति का वास्तव में अपना महत्व है। अवसर के क्षण आदमी को चमचमाते सफलता प्रदान कर उसे महान बना देते हैं। 

2 दुष्ट राजा की कहानी

 किसी देश में एक राजा रहता था वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाया करता था और फांसी की सजा सुना दिया करता था। उससे सब लोग डरा करते थे और हमेशा हाथ जोड़े खड़े रहते थे कहीं राजा उन्हें मौत की सजा ने सुना दे।
एक बार वह राजा बीमार पड़ गया तथा क्रोध के कारण उसने राजवैद्य को फांसी दे दी थी इसलिए कि  वे राजा को ठीक नहीं कर सका। 
सब डर गए । राजा बीमार चल रहा था। कोई उसका इलाज करने के लिए तैयार नहीं था। एक दिन एक गरीब वैद्य को उसका पता लगा वह राजा के पास गया तो मुझ गरीब वैद्य ने राजा को ठीक करने की बात कही तो राजा ने कहा कितने दिनों में मेरा बुखार ठीक कर दोगे।
 तो उस गरीब वैद्य ने कहा यह तो परमात्मा के हाथ में है दवा देना मेरा काम है। राजा ने कहा यह परमात्मा कौन है क्या आप हो।
राजा उस वैद्य की बात पर खुश हो गया। उसको इलाज करने की अनुमति दे दी । राजा उसे वैद्य की दवाइयों से ठीक हो गया  और राजा ने खुश होकर और गरीब वैद्य को बहुत सारी संपत्ति भी दान में दी ।
अब इसे क्या कहा जाए लेकिन मैथ्यू राय में यह अवसर के क्षण है मुझ गरीब को राजा के सामने का अवसर मिला इस अवसर का उस गरीब ने फायदा  उठाया । अपनी चतुराई से राजा को खुश किया । राजा ठीक भी हो गया। इस प्रकार अवसर के गुणों का उपयोग कर अपने घर भी दूर करने में सफल हो गया इसी को दूसरे शब्दों में भाग्य कहा जाता है। अतएवं मनोवैज्ञानिक, बुद्धिमान इस समय का सदुपयोग करते हैं। मौके का लाभ उठाना, इसी के बल पर आदमी पर्याप्त सफलता प्राप्त कर सकता है।

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